• Videshni Vishisht Navalikao

    Videshni Vishisht Navalikao

    200.00
  • VIDESHYATRANA PRERAKPRASANGO

    VIDESHYATRANA PRERAKPRASANGO

    170.00
  • Vidhyabhyas

    Vidhyabhyas

    250.00
  • VIDHYARTHI

    VIDHYARTHI

    80.00
  • VIDURNITI

    VIDURNITI

    300.00
  • VIGNAN VISHE

    VIGNAN VISHE

    215.00
  • Vignan Vismay

    Vignan Vismay

    50.00
  • Vigyanna Moti

    Vigyanna Moti

    50.00
  • VIJAYI VISHWA TIRANGA PYARA

    VIJAYI VISHWA TIRANGA PYARA

    3,500.00

    कवि शब्दों में सोचता है और चित्रकार रंगों में देखता है । इसकी झांकी हमें मिलती है ऋतुप्रिया खरे एवं प्रोफेसर नीलू गुप्ता द्वारा संकलित इस रसपूर्ण संकलन ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा’ में जिस में विश्व के 40 से अधिक देशों के प्रवासी भारतीय, हिंदी के विदेशी साहित्यकार एवं भारत के अनेक प्रदेशों से जाने अनजाने साहित्यकार, कवि एवं चित्रकार ने देशभक्ति के काव्यों, चित्रों और महत्वपूर्ण लेखों द्वारा अपना बहुमूल्य योगदान देकर इसे सजाया है। ये पुस्तक भारत के “वसुधैव कुटुम्बकम” के साथ साथ विश्वशांति की भावना का महत्त्व समजा रहा है। इस संकलन से दृष्टिगोचर हो रहा है कि विश्व में लहरा रहा तिरंगा पुरातन से नवभारत का ‘ विश्व बंधुत्व ‘, ‘ सर्वे भवंतु सुखिनः’ एवं शांति और अहिंसा का संदेश प्रसारित करता है।

  • Vikalangveeroni Vato

    Vikalangveeroni Vato

    100.00
  • Vikas Ki Ganga

    Vikas Ki Ganga

    3,000.00

    गंगा यमुना सोन सींचतीं, अवनि ने स्वर्ण उगाया है अन्नपूर्णा धरती मां ने सोनल श्रृंगार रचाया है। ऐसे आकर्षक शब्दों से रत काव्यों से सजी ऋतुप्रिया खरे की यह पुस्तक भारत के स्वर्णिम विकास के युग का वर्णन कर रही है । प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहलानेवाले भारत देश का कश्मीर से कन्याकुमारी, कामरूप से कच्छ तक अनेक विकास की योजनाओं द्वारा विकास हो रहा है। इसमें ‘ स्वच्छता अभियान ‘, ‘ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ‘, ‘ मेक इन इंडिया ‘, ‘ डिजिटल इंडिया ‘, आदि अनगिनत विकास के कार्यों को कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है ।

  • VILOPAN ANE BIJI VATO

    VILOPAN ANE BIJI VATO

    235.00